
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति ग्रंथ के तीसरे अध्याय के इक्किसवें श्लोक में ये बात बताई है कि लक्ष्मी जी को कैसा घर पसंद है। चाणक्य ने बताया कि लक्ष्मी जी ऐसे घर में नहीं रहती है जहां मुर्खों का सम्मान होता है। चाणक्य के अनुसार बिना सोचे-समझे बोलने वाले, बात-बात पर नकारात्मक सोच रखने वाले और हर बात में बहस करने वाले लोग मुर्ख होते हैं। ऐसे लोग जिस घर में होते हैं या जिन घरों में ऐसे लोगों को महत्व दिया जाता है ऐसे घरों में लक्ष्मी जी का निवास कभी भी नहीं होता।
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